खुशियाँ कुछ इस तरह इन्सान की अनजान हो गयीं!
जैसे दाना लेने गया पंछी और शाम हो गयी!!
रहबर ने अता की जो भूख पेट की !
फकीरों की पाक झोली बदनाम हो गयी !!
हुस्नवाले जब उतरे खुबसूरत लिवाज़ में !
भरी महफिल ईमान की बीरन हो गयी !!
खुद मारा है औरत ने बेटी को कोख में !
उसके गुनाह से माँ कोई बदनाम हो गयी !!
सियासत में फसे मोहरे हम देखते रहे !
सियासतदारों से मिटटी देश की बदनाम हो गयी !!
बची मिटटी से बने लोग ज़ल्द्वाज़ी में गड़ दिए !
तू ही देख मेरे मौला तेरी मिटटी बदनाम हो गयी !
नितिन{नादान}