अभी भी साथ है मेरे,
आशिकी का नजराना,
कभी वो कातिलाना फन,
कभी मासूमो सा भोलापन,
कभी वो जिद चिडिया की,
कभी आवारगी का मन,
कभी वो रात पूनम की,
कभी बाहों का सूनापन,
कभी वो अनकही बातें,
फिर उन पर मुस्कुरा जाना,
कभी वो रूठकर सोना,
फिर अपना हक़ अदा करना,
कभी वो बात गैरों की,
फिर उस पर शक अदा करना,
कभी नादान मुझे कहकर,
हर एक बात समझाना,
कभी वो अलविदा कहकर,
न उसका लौट कर आना,
अभी भी साथ है मेरे,
आशिकी का नजराना,
अभी भी साथ है मेरे,
आशिकी का नजराना,
रचना ----> नितिन सोनी{नादान}