Friday, July 24, 2009

**गुरुर**

गुरुर-ऐ-हुस्न में बेहोश हो तो बात तुम सुनलो !
जो बदली वक़्त ने करबट तो शीशे छूट जायेंगे !!

जो शौक है तुमको दिलों से खेलने का खूब !
कभी जब गिद्ध लोंचेंगे तो सपने टूट जायेंगे !!

बुलंदी देर तक किस के हिस्से में आई है !
कभी जब पैर फिस्लेंगे घमंड को तोड़ जायेंगे !!

अभी तुम जोश में होतो छु कर देखलो अम्बर !
हाँ तुम लौट आओगे कदम जब चोट खायेंगे !!

खाक के संग हैं सिकंदर आज भी कितने !
ये तुम तब मानोगे जब अपने छोड़ जायेंगे !!
नितिन{नादान}

Thursday, July 23, 2009

बड़े हुनरमंद हैं बुजुर्ग देखो.........

बड़े हुनरमंद हैं बुजुर्ग देखो.........

प्यार की सुनी बातों को हंस कर टालते तो हैं!

तमाम बातें राज़ की वो करते अहतियात से हैं,

कहकती महफिलों में जब अदब से खांसते वो हैं!

सिसकते हैं,तड़पते हैं,असर वो देखते भी हैं,

खलिश दिल की खला को वो बखूबी मानते तो हैं !

करते हैं बेशक बात मोह्हले की कहानी की,

हाँ हाल-ऐ-दिल ज़वानी का बखूबी जानते तो हैं !

कई बनते हैं बड़े पंडित,नवाजी चार पहर के,

मगर ज़वानी की कई कसमे अभी तक मानते तो हैं !

ज़वानी में कटी रातों के हर एक लम्हे को ,

छूटतीं सांसों में भी वो दर्द से बांटते तो हैं !

बड़े हुनरमंद हैं बुजुर्ग देखो.........

प्यार की सुनी बातों को हंस कर टालते तो हैं!

Tuesday, July 21, 2009

अहसास

खुशियाँ कुछ इस तरह इन्सान की अनजान हो गयीं!
जैसे दाना लेने गया पंछी और शाम हो गयी!!

रहबर ने अता की जो भूख पेट की !
फकीरों की पाक झोली बदनाम हो गयी !!

हुस्नवाले जब उतरे खुबसूरत लिवाज़ में !
भरी महफिल ईमान की बीरन हो गयी !!

खुद मारा है औरत ने बेटी को कोख में !
उसके गुनाह से माँ कोई बदनाम हो गयी !!

सियासत में फसे मोहरे हम देखते रहे !
सियासतदारों से मिटटी देश की बदनाम हो गयी !!

बची मिटटी से बने लोग ज़ल्द्वाज़ी में गड़ दिए !
तू ही देख मेरे मौला तेरी मिटटी बदनाम हो गयी !
नितिन{नादान}

**आशिकी का नजराना**

अभी भी साथ है मेरे,

आशिकी का नजराना,

कभी वो कातिलाना फन,

कभी मासूमो सा भोलापन,

कभी वो जिद चिडिया की,

कभी आवारगी का मन,

कभी वो रात पूनम की,

कभी बाहों का सूनापन,

कभी वो अनकही बातें,

फिर उन पर मुस्कुरा जाना,

कभी वो रूठकर सोना,

फिर अपना हक़ अदा करना,

कभी वो बात गैरों की,

फिर उस पर शक अदा करना,

कभी नादान मुझे कहकर,

हर एक बात समझाना,

कभी वो अलविदा कहकर,

न उसका लौट कर आना,

अभी भी साथ है मेरे,

आशिकी का नजराना,

अभी भी साथ है मेरे,

आशिकी का नजराना,

रचना ----> नितिन सोनी{नादान}

*बारिश*

बारिश तेरे गीत हम गाते ज़रूर हैं !
अहसास जावां दिल में हम लाते ज़रूर हैं !!
तेरी छुअन प्रीतम को सताती ज़रूर होगी !
तभी यादों में गुजरे दिन वापस आते ज़रूर हैं !!

बारिश तेरे गीत हम गाते ज़रूर हें !
बारिश तेरे गीत हम गाते ज़रूर हें !!

बारिश तेरे मिजाज से वाकिफ ज़रूर हैं !
बही महीन मिटटी रूमानी खूशबू ज़रूर है !!
कोमल ज़बां दिलों तुम चलना ज़रा संभल के !
शातिर बड़ी है बारिश फिसलते ज़रूर हैं !!
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बारिश तेरे गीत हम गाते ज़रूर हैं !
बारिश तेरे गीत हम गाते ज़रूर हैं !!

बारिश तेरी कहानी और किस्से ज़रूर हैं !
कागज़ की कश्ती और बच्चे ज़रूर हैं !!
धड़कते हैं दिल जब जावां जोर जोर से !
हाँ तेरी टीम टीम में बहार आते ज़रूर हैं !!

बारिश तेरे गीत हम गाते ज़रूर हैं !
बारिश तेरे गीत हम गाते ज़रूर हैं !!
नितिन{नादान}